The Definitive Guide to Shodashi
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चत्वारिंशत्त्रिकोणे चतुरधिकसमे चक्रराजे लसन्तीं
वास्तव में यह साधना जीवन की एक ऐसी अनोखी साधना है, जिसे व्यक्ति को निरन्तर, बार-बार सम्पन्न करना चाहिए और इसको सम्पन्न करने के लिए वैसे तो किसी विशेष मुहूर्त की आवश्यकता नहीं है फिर भी पांच दिवस इस साधना के लिए विशेष बताये गये हैं—
The reverence for Goddess Tripura Sundari is obvious in the way her mythology intertwines With all the spiritual and social cloth, giving profound insights into the nature of existence and The trail to enlightenment.
प्राण प्रतिष्ठा में शीशा टूटना – क्या चमत्कार है ? शास्त्र क्या कहता है ?
क्लीं त्रिपुरादेवि विद्महे कामेश्वरि धीमहि। तन्नः क्लिन्ने प्रचोदयात्॥
श्री-चक्रं शरणं व्रजामि सततं सर्वेष्ट-सिद्धि-प्रदम् ॥६॥
हरार्धभागनिलयामम्बामद्रिसुतां website मृडाम् ।
ब्रह्माण्डादिकटाहान्तं जगदद्यापि दृश्यते ॥६॥
ॐ ऐं ह्रीं श्रीं त्रिपुर सुंदरीयै नमः॥
हस्ते पाश-गदादि-शस्त्र-निचयं दीप्तं वहन्तीभिः
Goddess Tripura Sundari is additionally depicted as a maiden putting on excellent scarlet habiliments, dim and long hair flows and is completely adorned with jewels and garlands.
वन्दे तामष्टवर्गोत्थमहासिद्ध्यादिकेश्वरीम् ॥११॥
यहां पढ़ें त्रिपुरसुन्दरी हृदय स्तोत्र संस्कृत में
Understanding the importance of these classifications aids devotees to pick out the suitable mantras for their personal spiritual journey, making sure that their techniques are in harmony with their aspirations along with the divine will.